US Fed Rate Cut: यूएस फेडरल रिजर्व (Fed) अमेरिका का केंद्रीय बैंक है, जो देश की मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है। जब फेडरल रिजर्व अपनी बेंचमार्क ब्याज दर, जिसे “फेडरल फंड्स रेट” (Federal Funds Rate) कहा जाता है, को कम करता है, तो इसे ‘दर कटौती’ कहा जाता है। यह ब्याज दर वह है जिस पर बैंक एक-दूसरे को रातभर के लिए उधार देते हैं। दर कटौती का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को बढ़ाना और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है।

US Fed Rate Cut क्यों महत्वपूर्ण है?
दर कटौती का असर व्यापक होता है, क्योंकि यह न केवल अमेरिकी बल्कि वैश्विक वित्तीय बाजारों पर भी प्रभाव डालती है। जब फेड दरों में कटौती करता है, तो उधार लेने की लागत कम हो जाती है, जिससे कंपनियां और उपभोक्ता ज्यादा उधार लेने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है, क्योंकि उपभोक्ता खर्च और निवेश बढ़ता है। इसके अलावा, दर कटौती से डॉलर की कीमत में गिरावट हो सकती है, जो अमेरिकी निर्यात को सस्ता और प्रतिस्पर्धी बनाता है।
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Fed rate cut एक साल में कितनी बार होती है?
फेडरल रिजर्व साल में आठ बार बैठक करता है, लेकिन दर कटौती की संख्या परिस्थिति पर निर्भर करती है। आमतौर पर, फेडरल रिजर्व जब आर्थिक मंदी, रोजगार में कमी, या आर्थिक अस्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना करता है, तब वह दरों में कटौती करता है। कभी-कभी, एक ही साल में कई बार दरों में कटौती हो सकती है, जबकि कुछ सालों में एक भी दर कटौती नहीं होती।
भारतीय शेयर बाजार पर US Fed Rate Cut का प्रभाव
यूएस फेडरल रिजर्व की दर कटौती का भारतीय शेयर बाजार पर भी बड़ा असर होता है। दर कटौती से अमेरिकी निवेशकों के लिए भारत जैसे उभरते शेयर बाजार अधिक आकर्षक हो जाते हैं क्योंकि यहाँ उन्हें बेहतर रिटर्न मिल सकता है। इसका नतीजा यह होता है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में वृद्धि होती है, जिससे भारतीय शेयर बाजार में तेजी आती है।
उदाहरण के लिए, जब 2020 में फेड ने दरों में आक्रामक कटौती की थी, तब भारतीय शेयर बाजारों में भी तेजी देखी गई थी। दर कटौती से डॉलर कमजोर हो गया और भारतीय रुपये में मजबूती आई, जिससे भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेश बढ़ा।
भारतीय शेयर बाजार के लिए यूएस फेडरल रिजर्व दर कटौती का महत्व
भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए यूएस फेडरल रिजर्व की दर कटौती का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। जब फेड दरों में कटौती करता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर भी दरों में कटौती का दबाव बढ़ता है ताकि वह घरेलू अर्थव्यवस्था को समर्थन दे सके। इसके अलावा, दर कटौती से घरेलू कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय पूंजी जुटाना सस्ता हो जाता है, जिससे वे अपनी विस्तार योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ा सकती हैं।
ओपिनियन
यूएस फेडरल रिजर्व की दर कटौती न केवल अमेरिकी बल्कि वैश्विक वित्तीय बाजारों पर भी गहरा प्रभाव डालती है। भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेश बढ़ने के कारण, इस दर कटौती का सकारात्मक असर देखने को मिलता है। इसलिए, भारतीय निवेशकों के लिए यूएस फेड की दर नीति पर नजर रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके निवेश निर्णयों को प्रभावित कर सकता है।