बड़े बड़े क्रिकेट के खिलाडी म्यूच्यूअल फंड्स का विज्ञापन बड़े अदब से करते हैं। लोकलुभावन प्रॉफिट और फायदों को गिनवाते नहीं थकते हैं। लेकिन इंवेस्टमेंट्स की दुनिया में म्यूच्यूअल फंड्स कितना जटिल है और कितना प्रतिशत रिटर्न देता है आपके इन्वेस्टमेंट पर इस बारे में कोई भी ट्रांसपेरेंट तरीके से बात नहीं करता और न ही बताने में सक्षम है।
इसका मुख्य कारण ये है की जब से म्यूच्यूअल फंड्स की शुरुआत हुई है भारत में तब से लेकर आज तक म्यूच्यूअल फंड्स को कई अलग अलग प्रकारों में विभाजित कर दिया गया है। और हर इन्वेस्टमेंट मैनेजर अपने अपने हिसाब से उसकी प्रशंसा करता है।

दरअसल जब आप म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करते हैं तो प्रतिवर्ष आपको कुछ रकम आपको शुल्क और कमिशन के रूप में भी देना पड़ता है। और उन कमिशन और शुल्क के ऊपर कोई भी इंवेस्टंटन मैनेजर साफ़ साफ़ बात नहीं करता। इसलिए जब भी आप म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करें तो अपने इन्वेस्टमेंट मैनेजर से इस बारें में जरूर बात करलें की आपको हर साल कितना कमिशन और दूसरा चार्ज देना पड़ेगा। क्यूंकि साल के अंत में जो भी प्रॉफिट आप उम्मीद करते हैं वो रकम आपको वो सारे चार्जेज और कमिशन काट के मिलेगा।
किसी भी म्यूच्यूअल फंड्स में आप इन्वेस्ट करें इसमें इन्वेस्टमेंट के रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती। क्यूंकि म्यूच्यूअल फंड्स में लगाया हुआ आपका पैसा शेयर मार्केट में कई अलग अलग शेयर्स, बांड्स और कई दूसरे जगह इन्वेस्ट किया जाता है। और उन इन्वेस्टमेंट पर अगर प्रॉफिट आता है तभी आपको प्रॉफिट मिलता है अन्यथा हानि होने के स्थिति में आपको लॉस भी उठाना पड़ता है।
इसलिए ये बहुत जरूरी है कि म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्टमेंट करते वक्त आप ये जरूर तय कर लें की जो रकम आप इन्वेस्ट करने वाले हैं उन पैसों पर आप कितना सालाना रिटर्न उम्मीद करते हैं और बैंक मैं फिक्स डिपॉजिट्स करने पर कितना मिलेगा और इन तुलना के बाद ही निर्णय लें। क्यूंकि म्यूच्यूअल फंड्स इन्वेस्टमेंट भी कोई सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं है। इसका रिटर्न भी शेयर बाजार और इन्वेस्ट किये गए शेयर्स की केटेगरी के परफॉरमेंस पर निर्भर करता है.
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