सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने उद्योगपति अनिल अंबानी और उनके साथ 24 अन्य लोगों पर पांच साल का बैन लगा दिया है। इसमें रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के टॉप अधिकारी भी शामिल हैं। यह कार्रवाई RHFL में संदिग्ध लोन के मामलों की जांच के बाद की गई है।

आखिर क्या है मामला?
सेबी की जांच में सामने आया कि RHFL ने संदिग्ध तरीकों से गारंटीड पेमेंट क्रेडिट (GPC) लोन वितरित किए। ये लोन उन संस्थाओं को दिए गए जिनकी वित्तीय स्थिति कमजोर थी और जिनके पास लोन चुकाने के लिए पर्याप्त संपत्तियां नहीं थीं। फिर भी गलत तरीके से उन्हें लोन दिया गया।
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लोन वितरण में अनियमितता
FY18 और FY19 के दौरान, RHFL ने हजारों करोड़ रुपये के GPC लोन ऐसे संस्थाओं को वितरित किए जिनका नेट वर्थ नकारात्मक था और जिनके पास मामूली संपत्तियां थीं। इन लोन को बिना किसी संपत्ति या सुरक्षा के जारी किया गया, जो मानक क्रेडिट जांच प्रक्रिया से भिन्न था। RHFL के प्रबंधन ने आंतरिक क्रेडिट रेटिंग की अनदेखी की और डिफॉल्ट की संभावना के मूल्यांकन की आवश्यकता को भी छोड़ दिया।
इसमें अनिल अंबानी का रोल
सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, RHFL के प्रबंधन ने स्पष्ट वित्तीय कमजोरियों के बावजूद मानक क्रेडिट जांच प्रक्रियाओं को बार-बार अनदेखा किया। 11 फरवरी 2019 को RHFL के बोर्ड ने GPC लोन वितरण को रोकने का आदेश दिया था, लेकिन कंपनी ने इन लोन का वितरण जारी रखा, जिसमें व्यक्तिगत रूप से अनिल अंबानी द्वारा अनुमोदित लोन भी शामिल थे। यह बोर्ड के निर्देशों की अनदेखी दर्शाता है और कंपनी के आंतरिक नियंत्रण विफलताओं को उजागर करता है।
जांच में यह भी सामने आया कि GPC लोन के प्राप्तकर्ता और उन संस्थाओं को जो धन प्राप्त हुआ, वे प्रमोटर ग्रुप से जुड़े थे। प्रमोटर-ग्रुप कंपनियों से बाद में मिली गारंटी ने इन कनेक्शनों की पुष्टि की। PWC, जो कंपनी के statutory auditor थे, ने लोन की गुणवत्ता और वसूली पर चिंता जताई, लेकिन जून 2019 में इस्तीफा दे दिया।
अन्य मुख्य अधिकारियों पर भी जुर्माना
सेबी ने RHFL के प्रमुख अधिकारियों अमित बपना, रविंद्र सुधालकर और पिंकुश शाह पर क्रमशः ₹27 करोड़, ₹26 करोड़ और ₹21 करोड़ का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, कई अन्य संबंधित संस्थाओं पर भी ₹25 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना उन लोगों की भूमिका को देखते हुए लगाया गया है जिन्होंने इन अवैध लोन वितरण को आसान बनाने या इससे होने वाले लाभ प्राप्त करने में भाग लिया था।
अनिल अंबानी का प्रभाव
सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, अनिल अंबानी ने RHFL की होल्डिंग कंपनी के प्रमोटर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लोन की मंजूरी में उनकी भूमिका प्रमुख रही। बपना, जो RHFL के पूर्व CFO और क्रेडिट कमेटी के सदस्य थे, उन्होंने इन लोन को मंजूरी दी और बोर्ड के निर्देशों का पालन नहीं किया। सुधालकर, जो RHFL के CEO थे, उन्होंने लोन के अनुमोदन और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली, लेकिन उन्होंने बोर्ड के निर्देशों की अनदेखी की।
विचार
इस मामले ने बाजार में एक बड़ी हलचल मचा दी है। अनिल अंबानी तथा अन्य लोगों पर सेबी द्वारा लगाया गया ये बैन यह दर्शाता है कि वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता और नियमों का पालन कितना महत्वपूर्ण है। सेबी की यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए है कि भविष्य में ऐसी अनियमितता न हों और निवेशकों का विश्वास बाजार में बना रहे।