ग्लोबल मार्केट क्या है: शेयर मार्केट के सन्दर्भ में ग्लोबल मार्केट पुरे विश्व में अलग अलग देशों के शेयर बाजार में हो रहे स्टॉक ट्रेडिंग या शेयर ट्रेडिंग को कहा जाता है। शेयर बाजार में रूचि रखने वाले हर छोटे बड़े ट्रेडर्स को इसके बारे में जाने की बहुत उत्सुकता होती है क्यूंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ग्लोबल मार्केट हर देश के स्टॉक ट्रेडिंग को कहीं न कही प्रभावित करता है।

भारतीय शेयर बाजार को आम तौर पर अमेरिकी शेयर बाजार, यूरोपियन शेयर बाजार और एशियाई शेयर बाजार के कुछ प्रमुख इंडेक्स प्रभावित करते हैं। जिनमे डो जोंस, Nasdaq, FTSE, Dax, गिफ़्ट निफ़्टी, ताइवान वेटेड, और संघाई कम्पोजिट, प्रमुख हैं।
लेकिन पिछले कई महीनों से भारतीय शेयर बाजार पर वैश्विक शेयर बाजार जिसे आम तौर पर ग्लोबल मार्केट के नाम से ज्यादा जाना जाता है उसका असर बहुत कम हो रहा है। इसका मुख्य कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित सुधार, भारत सरकार के द्वारा किए गए निवेश के कुछ सकारात्मक कदम तथा भारतीय लोगों में निवेश के प्रति जागरूकता है।
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भारतीय शेयर बाजार पर इसका असर
भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव यहाँ की विशाल जनसंख्या पर आधारित है। आज की तारीख में, भारत जनसंख्या के मामले में विश्व का सबसे बड़ा देश बन चुका है। इसके परिणामस्वरूप, भारत न केवल एक विशाल बाजार बन गया है बल्कि यहाँ व्यापार के असीमित अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। किसी भी वस्तु या सेवा का उत्पादन और उपभोग इस विशाल जनसंख्या के द्वारा किया जाता है, जिससे उद्योग जगत पर सीधा प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप में आगे बढ़ा रहा है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिल रही है।
भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या और बढ़ते हुए मध्यम वर्ग ने देश के भीतर व्यापार के लिए एक बड़ा अवसर पैदा किया है। यही कारण है कि भारत अब विदेशी निवेश पर कम निर्भर रहते हुए स्वदेशी निवेश और उद्योगों पर अधिक जोर दे रहा है। यह देश के उद्योग जगत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति हो रही है। इसके साथ ही, इसका सीधा असर हमारे भारतीय शेयर बाजार पर भी देखा जा सकता है। जब कोई देश अपने डोमेस्टिक उद्योगों पर निर्भर रहता है और विदेशी निवेश पर कम निर्भर होता है, तो वह देश दीर्घकालिक रूप से अधिक स्थिर और स्वतंत्र बनता है।
विदेशी संस्थाओं द्वारा निवेश प्राप्त करना किसी भी देश के लिए अच्छी बात है, क्योंकि यह विदेशी मुद्रा के आगमन और तकनीकी उन्नति में सहायक होता है। लेकिन अगर कोई देश अपने घरेलू उद्योगों की अनदेखी करते हुए पूरी तरह से विदेशी निवेश पर निर्भर हो जाता है, तो इसका दीर्घकालिक प्रभाव नकारात्मक हो सकता है। बाहरी ताकतें उस देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के साथ-साथ राजनीतिक और आंतरिक मामलों में भी हस्तक्षेप करने लगती हैं, जिससे देश की संप्रभुता पर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
हालांकि, भारतीय शेयर बाजार का घरेलू निवेशकों पर बढ़ती निर्भरता के साथ सकारात्मक रूप से आगे बढ़ना एक सुखद संकेत है। यह देश की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भारत के आर्थिक भविष्य को मजबूती मिल रही है। भारतीय शेयर बाजार का स्वदेशी निवेशकों के भरोसे बढ़ना न केवल बाजार की स्थिरता को बढ़ावा देता है, बल्कि इससे देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है।
इस प्रकार, भारत का उद्योग जगत और शेयर बाजार दोनों ही अपने बलबूते पर विकसित हो रहे हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक लाभ मिल रहा है।
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